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बलिया का वैज्ञानिक निकला फर्जी शोधपत्रों का बाद्शाह

डॉ अनिल मिश्र , DRDO के एक वैज्ञानिक है और हाल ही मे नाभिकीय औषधि एवं संबन्ध विज्ञान संस्थान प्रयोगशाला के डायरेक्टर नियुक्त किये गये है .

इनका एक बहुत बड़ा वैज्ञानिक घपला सामने आया है . दरअसल एक वेब-साइट pubpeer.com जो प्रकाशित शोध पत्रों के पुन: मूल्यांकन  से जुड़ी हुइ है, ने डॉ अनिल मिश्र के क़रीब 50 शोध पत्रों में गड़बड़ीयाँ  पायी है .

जैसे एक पत्र के डेटा को दूसरे में छपवाना,एक ही चित्र (CT स्कैन , PET इत्यादि ) को अलग-अलग आविष्कार बता कर छपवाना .

इन फर्जी शोधपत्रों के ज़रिये डॉ अनिल मिश्र ने ये दावा कियाहै कि उन्होंने कुछ ऐसे रेडियो-ट्रेसर बनाये है जिससे रोगों का पता लगाया जा सकता है.

लेकिन वस्तुस्थिति ये है कि उन्होंने कोई प्रयोग किये बिना ही फर्जी  आँकड़े तैयार कर के शोधपत्रों को छपवाते रहे.

एक ही फोटो को तीन पत्रों में ,तीन अलग अलग प्रयोग के लिए प्रकाशित करवा दीया

इस तरह का यह पहला वाकया है जब किसी एक ही वैज्ञानिकके 50 शोध पत्रों में फर्जि आँकड़े पकड़े गये हो और वो भी देश की इतनी बड़ी संस्थान से . चूँकि ये शोधपत्र रोगों की जाँच से जुड़े हुये है

अत: चिकिस्ता जगत् मे एक निराशा सी छा गयी है क्योंकि इस तरह के फर्जि दावे रोगियों की जान को जोखिम में डाल सकते है. सिर्फ यहीं नहीं इन 50 शोध पत्रोंको पूरे विश्व क़े वैज्ञानिक देख रहे है और कृत्य ने संपूर्ण भारतीय समुदाय के वैज्ञानिकों को शर्मसार किया है.